tag:blogger.com,1999:blog-4468364056093896579.post5874568732707826454..comments2023-05-18T03:58:07.942-07:00Comments on बिखरे मोती: संपादकीय "यादें" नवम्बर, 2012 अंक bikharemotihttp://www.blogger.com/profile/00943766989921151543noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4468364056093896579.post-3216636431122028152012-11-24T22:06:45.164-08:002012-11-24T22:06:45.164-08:00स्त्री की व्यथा
जितना भी समझ
पढ़ लिख जाए
नहीं हो...स्त्री की व्यथा <br />जितना भी समझ <br />पढ़ लिख जाए <br />नहीं होगी खत्म कथा गुड्डोदादीhttps://www.blogger.com/profile/10381007322183223193noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4468364056093896579.post-29066512103111726922012-11-22T18:21:12.245-08:002012-11-22T18:21:12.245-08:00"हम अपने भीतर पनपते रावण को नज़रअंदाज़ कर, दू... "हम अपने भीतर पनपते रावण को नज़रअंदाज़ कर, दूसरों के मन के रावण, देश में फैले रावण को तो देख रहे हैं। पर हमारे मन में पैर पसारे जो बुराईरूपी रावण बैठा है, उससे निजात पाने के बारे में नहीं सोच रहे।" ... <br />यहीं मर्ज़ की नब्ज़ है और यहीं इलाज़Bharathttps://www.blogger.com/profile/09488756087582034683noreply@blogger.com