Friday, 29 June 2012

अधूरी नज़्म


अधूरी नज़्म

मिले थे हम बरसों बाद
तुमने कुछ सुनाया था...
मैंने भी उसमे कुछ जोड़ा था
तुम्हारी अधूरी नज़्म को
रूहानी शब्दों से थोड़ा सा मोड़ा था
मैंने जब कहा, कि देखो
अधूरी नज़्म को आगे बढा दिया
तुमने कहा, नहीं
ज़िंदगी को आगे बढ़ा दिया..
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Tuesday, 12 June 2012

दोड़े शहर 
रेलगाड़ी हुआ सा 
लटके हम
जिंदगी को पकड़ें 
जैसे गोद में बच्चा....