Sunday, 24 March 2013

होली के कुछ हाइकु और तांका


हाइकु
1
सब रसिया
खेले होली के रंग
प्रेम का मद
2
है इतराती
प्रेम-हृदय गाती
रंगीली होली
3
मंदिर घाट
होली में गुलज़ार
होली आई रे
4
नाचे मनवा
पहन के रँगीले
होली घुँघरू
5
मन-तर्पण
संग होली के रंग
संचित प्यार
6
रंगो की कली
महके हैं आँगन
सींचो प्यार से
7
रंगो में भीगा
रहे तन मन ये
प्रेम से भरा
8
गा रही फाग
रंग खिलखिलाए
होरी के संग

9
होरी की चक्की
पिसे रंगीले दाने
प्रेम में पगे
10
होली की धुन
फगुनिया बांसुरी
प्रेम सुरीला




तांका
1
हुई रंगीली
मन की रे पत्तियाँ
होली का वृक्ष
अब तो आओ कान्हा
मैं हुई राधा, मीरा  
2
भीगा मनवा
रहा सूखा तनवा
बाट निहारूँ
अब तो आओ कान्हा
राधा सुत हुई मैं

3
रंगो की बातें
सुनकर डोल गया
होली का मन
पुकारे राधा मीरा
कान्हा का धर रूप

Wednesday, 20 March 2013

मेरी नजरों में कविता


कविता एक सहारा

कविता एक सहारा है
जब बेबसी बगावत करती है
और आँधी, अंधी गलियों से गुजरती है....

कविता एक सहारा है
जब सोच हवा में तिनके-सी उड़ती है
बिखर कर, फिर-फिर सिमट कर
शब्दों का चोला पहन लेती है....

कविता एक सहारा है
जब कोई खुशी आँखों से छलक़ती है
कोई नमकीन याद अहसास बन जाती है....

कविता एक सहारा है
कोई अनुभूति, सोच शब्दों में बंध जाती है
फिर उन शब्दों को कलम की नोक से
कागज़ पर चिपकाना मजबूरी हो जाती है....

कविता एक सहारा है
जब कल्पना के पंखों पर उड़ते परिंदे
स्मृति के शिलालेख बन जाते हैं....

कविता एक सहारा है
वह तो बस ओस में भीगते रहने की मौसमी मजबूरी
और जीने का तक़ाज़ा बन जाती है ......
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Wednesday, 13 March 2013

सपनों के फ़ाहे


सपनों के फ़ाहे

कल रात नींद मेरी
कुछ जख्मी हो गयी थी
चलूँ, आज रात सपनों के
कुछ फ़ाहे और पैबंद लगा दूँ