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Wednesday, 28 December 2011
तेरे आँगन की धूप
तेरे आँगन की धूप का एक टुकड़ा
मेरे आँगन में भी उतर गया है
चलो आज तो हम कह दें....
हम भी हम प्याला हो ही गए...
1 comment:
Shashi Padha
12 February 2013 at 15:57
वाह! अद्वैत भाव की सुंदर अभिवयक्ति| अब चाहे इसे किसी भी रूप में कहें |
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