Wednesday, 29 February 2012


चलो फिर बताएँगे
जमाने ने सितम कितने किए
और कितने हमने सहे
चलो फिर बताएँगे
लोगों ने कितनी बार तोड़ा दिल
और हमने कितने सिये
चलो फिर बताएँगे......(अनिता कपूर)

Tuesday, 21 February 2012


तेरी परछाइयाँ और मेरी परछाइयाँ

चलो आज मिलकर एक चेहरा हो जाएँ 


तेरी तन्हाईयां और मेरी तन्हाईयां

चलो आज मिल कर हसीन आशियाँ हो जाये


नक़द मुलाकातों के सिलसिले शुरू तो करें

फिर उधार के रिश्ते खुद ही दरकिनार हो जाएँ


रिश्तों की कोख से ख़ूब जन्मेंगी नज़्में

मुन्तजिर निगाहों की झलक तो मिल जाये


मक़तल न बन जाये कहीं दश्त-ओ-दिल मेरा

ज़रा लफ़्ज़ों को इश्क़ का पैगाम तो मिल जाये


Tuesday, 7 February 2012

खिड़कियाँ




लफ़्ज़ों के झाड़ ऊगे रहते थे

जब तुम थे मेरे साथ

हम दोनों थे हमारे पास

रिश्ते की ओढनी थी

लफ़्ज़ों के रंगीले सितारे 

टंके ही रहते थे

नशीले आसमां पर.....

फिर तुम चले गए

कई बरसों बाद

अचानक एक मुलाक़ात

हम ओढनी के फटे हुए

टुकड़ों की तरह मिले

मेरा टुकड़ा

तुम्हारे सड़े टुकड़े के साथ

पूरी न कर पाया वो अधूरी नज़्म

सिसकते टुकड़ों पर फेर लकीर

सांस लेने के लिए

खोल दी है मैंने

सभी खिड़कियाँ

Wednesday, 1 February 2012

बसंती हाइकु


  • रंग बसंत
    निखरी हर दिशा
    रूप अनंत