Thursday, 27 September 2012

उसके जाने के बाद

उसके जाने के बाद मैं 
ताकती रही उसके क़दमों के निशाँ 
मैंने कहा था उसे 
हो सके तो उन्हें भी साथ ले जाना
अब कितना मुश्किल है उसका जाना..
... 
जिंदगी के जाने के बाद मै
छूती रही उसकी परछाई के निशां
मैने कहा था उसे
हो सके तो साँसे भी साथ ले जाना 
अब कितना मुश्किल है जीना ....

यादों के जल जाने के बाद मै
बिनती रही उसकी राख़ के निशां
मैने कहा था उसे 
हो सके तो राख़ उढ़ा ले जाना
अब कितना मुश्किल हैं ढेर में जीना..
.

2 comments:

  1. अनीता जी , आपके ब्लॉग बिखरे मोती पर पहली बार आना सफ़ल हुआ | नाम बहुत अच्छा है ....अपने चारों ओर मोती ही मोती बिखरे दिखाई देते हैं | बहुत अच्छी कविताएँ पढ़ने को मिली |
    यह कविता " उसके जाने के बाद "....बहुत ही गहन भाव लिए दिल को छू गई !
    बहुत बधाई
    हरदीप

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  2. शब्‍दों के मोती यहां भी बिखरें हैं...जय हो

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