Monday 20 August 2012

फेस्बूक





-          डॉ अनीता कपूर

फेस्बूक बनाम पिंगपोंग
मार्क एलियट ज़ुकेरबर्ग ने, फेस्बूक का ईज़ाद करके, विश्व के बड़े से गोले को जैसे एक छोटी सी पिंगपोंग गेंद में तबदील कर दिया। आप घर बैठे या चलते-फिरते, दुनिया के किसी भी कोने से, कहीं भी, किसी से बात कर सकते हैं। फेस्बूक की अपनी एक दुनिया और अपना ही एक आकाश है। बिनदेखे, बिनजाने बेखौफ मगर एक अपनेपन और प्यार से एक दूसरे के साथ, भावनाओं से जुड़ना, सम्मान....घनिष्ठता...मोह...की लहर ने उन फकेबुकियों को अपनी लपेट में ले लिया है, जो इसका सही महत्व समझते है, इस सामाजिक नेटवर्क की इज्ज़त करते है....फिर चाहे वो लेखक हो या साहित्यकार, फिल्म के लोग हो, राजनीति से हो, या कोई ग्रहणी। उम्र और जातपांत से परे फेस्बूक मित्रता का वो नशा है....जिसके बिना न तो हमारी सुबह होती है और न ही रात। नए मित्रों से परिचय, और विचारों का आदान-प्रदान, आपकी पहचान का दायरा बढ़ाता है। पर अफसोस कि, यहाँ भी कुछ असामाजिक तत्व, अपने-अपने अंदाज मे गंदगी फैलाने से बाज नहीं आते। कंपनी बाग समझ अपने पुरुष होने की मानसिकता में जकड़े, औरतों पर छींटाकशी यदा-कदा करते दिख जाते हैं। बदलते परिवेश और समाज के चलते कुछेक युवा वर्ग भी अश्लील हरकतों से बाज़ नहीं आते, जिन्हे देख शर्म के साथ-साथ अफसोस भी होता है, यह सोचकर कि, हमारे समाज को क्या हो गया है? बावजूद इसके, फेस्बूक आपको वक्त के साथ चलाता है, और सब खबरों से भी वाकिफ़ करवाए रखता है। कितनी अनोखी बात है न कि, घर के अंदर रहकर भी आप फेस्बूक के ज़रिए दुनिया के साथ पहले से भी ज्यादा जुड़ गए है....इस आज़ादी के साथ कि, अगर कोई मित्र आपकी भावनाओं को लगातार ठेस पहुंचाए तो बिना किसी बहस या झगड़े के, चुपके से उसे अपनी मित्रता-सूची से बाहर कर दें। किसी मित्र के घर जाना हो तो बगैर फोन किए उसकी वाल पर कुछ भी पोस्ट कर देना, बिना अनुमति लिए घुसपैठ करना, तांक-झांक करना। कहिए- मिलेगी ऐसी आज़ादी कहीं और?  
  

2 comments:

  1. Ek hi baat kahna chahungi, bahut achha likha hai, sahi aur tathyaparak.

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  2. I feel that it has also helped in improving communication skill and vocabulary, atleast, in my case.

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