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Thursday, 19 January 2012
खुद सुबह सर्दी से ठिठुरती
अलसाई अलसाई
पिछवाड़े की झाड़ियों में अटकी हुई
कोहरे के चादर में मुँह छिपा
इतनी सिकुड़ गयी है
घबरा कर बाहर आ कर
चाय की चुस्की लेने से भी
डर गयी
है
2 comments:
Maheshwari kaneri
20 January 2012 at 03:52
बहुत खूबसूरत..
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संगीता स्वरुप ( गीत )
20 January 2012 at 21:40
सच , गज़ब की ठण्ड है ..
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बहुत खूबसूरत..
ReplyDeleteसच , गज़ब की ठण्ड है ..
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