Tuesday, 14 August 2012

आजादी-दिवस पर कुछ हाइकु


कैसे बचेगा
शहीदों का ये देश
करो चिंतन

कैसे बचेगी
संस्कृति ये पुरानी
करो मंथन  

आओ उखाड़ें
भ्रष्टाचार की जड़ें
बदल बीज

सिकुड़े दिल
सिमट रही धरा
सींचों लहू से

चैनों अमन 
पुकारता वतन
सुन लो इसे 

4 comments:

  1. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें ....जय हिंद

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  2. चिंतन और मंथन का आह्वान करते सुंदर और सार्थक हाइकु ! स्वाधीनता-दिवस की शुभकामनाएँ!

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  3. सार्थक और सुंदर हाइक । बधाई अनिता जी !

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