त्रिवेणी में प्रकाशित कुछ सदोका
WEDNESDAY, AUGUST 8, 2012
मैं मुसाफिर(सेदोका)
1-डॉ अनीता कपूर
1
पी डाला दर्द
रूह की चिमनी से
जैसे गीत -संगीत
पकड़ धुआँ
लपेट चाँदनी में
लिखा रंगीला गीत ।
2
कवि की आँख
वेदना की धरती
फूटती हैं कोंपलें,
शब्दों मे पिरो
करें काव्य-सृजन
खुदा की नियामत ।
3
चाहे चर्च या
हो गुरुद्वारा कोई
भक्ति के वृक्ष सभी
माँगे है खाद
प्रेम मुहब्बत की
अरदास रब की ।
4
दिल दिमाग
चलता है चक्की-सा
पिसता दिल ही है,
कशमकश
में फिसली जिंदगी
छूटता वक्त ही है ।
5
मैं मुसाफिर
जानकर भी भूली
मिट जाएँगे सब,
ये रिश्ते नाते
बन जाऊँगी मैं भी
अफसाना पुराना ।
6
न पहचान
असली लाभ-हानि
की रही है मुझको,
जो पहचाना
तो बस दिल ही को
सभी सेदोका सुंदर हैं।तीसरा और पाँचवा सेदोका बहुत प्रभावित करते हैं -
ReplyDelete"चाहे चर्च या
हो गुरुद्वारा कोई
भक्ति के वृक्ष सभी
माँगे है खाद
प्रेम मुहब्बत की
अरदास रब की ।"
बहुत सुंदर।