Wednesday, 25 July 2012

अलाव



अलाव
तुमसे अलग होकर
घर लौटने तक
मन के अलाव पर
आज फिर एक नयी कविता पकी है
अकेलेपन की आँच से
समझ नहीं पाती
तुमसे तुम्हारे लिए मिलूँ
या एक और
नयी कविता के लिए ?

3 comments:

  1. वाह....
    बहुत खूबसूरत....

    अनु

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  2. दिलो की कशमक्श को सुन्दर श्ब्दों मे उतारा है।

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  3. खूबसूरत भाव .....दर्द ही प्रेम की परिभाषा क्यों है ...

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