Thursday, 5 July 2012

तांका

नदी में चाँद
तैरता था रहता
पी लिया घूँट
नदी का वही चाँद

आज हथेली मेरे...

7 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत !

    ReplyDelete
  2. BHAWPOORAN KHOOBSOORAT PANKTIYAN.

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर अनीता जी....
    शब्दों की पाबंदी के बाद भी सुन्दर अभिव्यक्ति.....

    अनु

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर अनीता जी....


    अनु

    ReplyDelete
  5. बहुत खूब अनीता जी

    ReplyDelete
  6. बहुत खूब कहा। बधाई स्वीकारें।

    ReplyDelete