Saturday 8 October 2011

हाइकु :अनीता कपूर


1
कटोरा धूप
रोटी रात की जैसे
गिरे आँगन
2
कुछ जो रिश्ते
बन गए आदत
दिल घायल
3
रंग हैं सातों
फागुन की कटोरी
अधूरी चाह
4
शिकवा रात का -
क्यों चुराए सितारे
सवेरा हँसा
5
जख़्मी सपने
तोडते मेरी नींद
भोर है दूर्।
6
जल ही गई
सिगरेट उम्र की
धुआँ भी नहीं।
-0-
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4 comments:

  1. जीवन के सुख दुख को अभिव्यक्त करते भाव्पूर्ण हाइकु । बहुत बधाई अनीता जी !

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  2. बहुत ही सुन्दर हाइकू हैं..बहुत बहुत बधाई अनीता जी. परदेस में हिंदी का परचम लहराते रहिये. हिंदी और बघेली में हाइकू के लिए रीवा शहर भी जाना जाता है.

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  3. anitaji, aap in haaiku dwara zindgi ki gahraahiyon me guzar rahi hain. badhaaii ho.

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  4. "जल ही गई
    सिगरेट उम्र की
    धुआँ भी नहीं"...

    बहुत बढ़िया

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