कविता एक सहारा
कविता एक सहारा है
जब बेबसी बगावत करती है
और आँधी, अंधी गलियों से गुजरती है....
कविता एक सहारा है
जब सोच हवा में तिनके-सी उड़ती है
बिखर कर, फिर-फिर सिमट कर
शब्दों का चोला पहन लेती है....
कविता एक सहारा है
जब कोई खुशी आँखों से छलक़ती है
कोई नमकीन याद अहसास बन जाती है....
कविता एक सहारा है
कोई अनुभूति, सोच शब्दों में बंध जाती है
फिर उन शब्दों को कलम की नोक से
कागज़ पर चिपकाना मजबूरी हो जाती है....
कविता एक सहारा है
जब कल्पना के पंखों पर उड़ते परिंदे
स्मृति के शिलालेख बन जाते हैं....
कविता एक सहारा है
वह तो बस ओस में भीगते रहने की मौसमी
मजबूरी
और जीने का तक़ाज़ा बन जाती है ......
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बेहद खूबसूरत कविता ....कविता हर एक का अपना मायना समा कर रखती है, कभी गुमसुम, कभी उदास, कभी ख़ुशी, कभी मुस्कान ....लेकिन सहारा हर दम होती है जब कंठ की आवाज या संबल का साथ छूट जाए, तब यह ही शब्दों को समेट आँचल बन, नरम धूप बन हमें सम्भालती है।
ReplyDeleteविश्व काव्य दिवस की शुभकामनाएं
-Shaifali
कविता सचमुच एक सहारा है ...बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteकविता की सार्थकता बहुत ही सुंदर और मार्मिक अंदाज़ में अपने सौंदर्य को निहारती सी प्रतीत होती है धन्य है आपकी लेखनी
ReplyDeletebahut khoobsoorat kavita, shilp, kathya, vistaar
ReplyDeleteकविता सचमुच एक सहारा है...sach hai .....
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