Wednesday 20 March 2013

मेरी नजरों में कविता


कविता एक सहारा

कविता एक सहारा है
जब बेबसी बगावत करती है
और आँधी, अंधी गलियों से गुजरती है....

कविता एक सहारा है
जब सोच हवा में तिनके-सी उड़ती है
बिखर कर, फिर-फिर सिमट कर
शब्दों का चोला पहन लेती है....

कविता एक सहारा है
जब कोई खुशी आँखों से छलक़ती है
कोई नमकीन याद अहसास बन जाती है....

कविता एक सहारा है
कोई अनुभूति, सोच शब्दों में बंध जाती है
फिर उन शब्दों को कलम की नोक से
कागज़ पर चिपकाना मजबूरी हो जाती है....

कविता एक सहारा है
जब कल्पना के पंखों पर उड़ते परिंदे
स्मृति के शिलालेख बन जाते हैं....

कविता एक सहारा है
वह तो बस ओस में भीगते रहने की मौसमी मजबूरी
और जीने का तक़ाज़ा बन जाती है ......
-0-

5 comments:

  1. बेहद खूबसूरत कविता ....कविता हर एक का अपना मायना समा कर रखती है, कभी गुमसुम, कभी उदास, कभी ख़ुशी, कभी मुस्कान ....लेकिन सहारा हर दम होती है जब कंठ की आवाज या संबल का साथ छूट जाए, तब यह ही शब्दों को समेट आँचल बन, नरम धूप बन हमें सम्भालती है।

    विश्व काव्य दिवस की शुभकामनाएं

    -Shaifali

    ReplyDelete
  2. कविता सचमुच एक सहारा है ...बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
  3. कविता की सार्थकता बहुत ही सुंदर और मार्मिक अंदाज़ में अपने सौंदर्य को निहारती सी प्रतीत होती है धन्य है आपकी लेखनी

    ReplyDelete
  4. bahut khoobsoorat kavita, shilp, kathya, vistaar

    ReplyDelete
  5. कविता सचमुच एक सहारा है...sach hai .....

    ReplyDelete