हाइकु
1
सब
रसिया
खेले होली के रंग
प्रेम का मद
2
है इतराती
प्रेम-हृदय गाती
रंगीली होली
3
मंदिर घाट
होली में गुलज़ार
होली आई रे
4
नाचे मनवा
पहन के रँगीले
होली घुँघरू
5
मन-तर्पण
संग होली के रंग
संचित प्यार
6
रंगो की कली
महके हैं आँगन
सींचो प्यार से
7
रंगो में भीगा
रहे तन मन ये
प्रेम से भरा
8
गा रही फाग
रंग खिलखिलाए
होरी के संग
9
होरी की चक्की
पिसे रंगीले दाने
प्रेम में पगे
10
होली की धुन
फगुनिया बांसुरी
प्रेम सुरीला
तांका
1
हुई रंगीली
मन की रे पत्तियाँ
होली का वृक्ष
अब तो आओ कान्हा
मैं हुई राधा, मीरा
2
भीगा मनवा
रहा सूखा तनवा
बाट निहारूँ
अब तो आओ कान्हा
राधा सुत हुई मैं
3
रंगो की बातें
सुनकर डोल गया
होली का मन
पुकारे राधा मीरा
कान्हा का धर रूप
बहुत अच्छी रचनाएं....
ReplyDeleteलाजवाब ताँके...
सादर
अनु
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ReplyDeleteहोली के रंगों को अपने निराले अंदाज़ हाईकु मन को भिगो कर तृप्त करते प्रतीत हो रहे हैं इंद्रधनुष ही छ्टा का आभास होता है
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