जब से अन्ना ने जलाई, भ्रष्टाचार ख़त्म करने की मशाल
हर एक जेब जले, बाहर आने लगे !
और जब से यह जेब जले, बाहर आने लगे
नारे पे नारे लगाने लगे,
उन्हें देख, गूंगी बस्तियों के लोग भी गाने लगे!
और जब से, गूंगी बस्तियों के लोग गाने लगे
चंद बहरे भी सर हिलाने लगे!
अब, इस सरकार की बदगुमानी को क्या कहें
फितरतन, जेल में सबको डालने लगें!
हाँ, इस डरी हुई सरकार को क्या कहें
टूटती सी दिखती कमर, पर
पूरा हिन्दुस्तान उस पर लादने लगे !
अन्ना का ताब, गाँधी जैसा, लोग मानने लगे
यह सरकारी जादूगर, जैसे
नींद में भी सुर बदलने से डरने लगे!
अब नई किरण, नई जागृति, नया सुखद सवेरा
सपना, सोच, बने हकीकत के पंख
जीत रही जनता, मन हिलोरें लेने लगे!
अब अगर ये नई रौशनी की किरण लोगों की जिंदगी में कुछ उजियाला भर दे तो बात बने...
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